संत रामपाल जी महाराज, परमात्मा प्राप्त संत गरीबदास जी की अमरवाणी से बताते हैं “इन्द्री कर्म ना लगै लगारं, जो भजन करें निरदुंद रे। गरीबदास जग कीर्ति होगी, जब लग सूरज चंद रे।।” अर्थात मनुष्य द्वारा जो भी कार्य जाने और अनजाने में होते हैं उनका फल उसे भोगना ही पड़ता है। किंतु ऐसे साधक जो पूर्ण परमेश्वर कबीर साहेब की भक्ति करते हैं और सत्यनाम का जाप करते हैं। उन्हें अनजाने में किये गए कर्मों का दंड नहीं भोगना पड़ता। ऐसे ही संत रामपाल जी महाराज के अन्य विचार जानने के लिए .
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संत रामपाल जी महाराज, परमात्मा प्राप्त संत गरीबदास जी की अमरवाणी से बताते हैं “इन्द्री कर्म ना लगै लगारं, जो भजन करें निरदुंद रे। गरीबदास जग कीर्ति होगी, जब लग सूरज चंद रे।।” अर्थात मनुष्य द्वारा जो भी कार्य जाने और अनजाने में होते हैं उनका फल उसे भोगना ही पड़ता है। किंतु ऐसे साधक जो पूर्ण परमेश्वर कबीर साहेब की भक्ति करते हैं और सत्यनाम का जाप करते हैं। उन्हें अनजाने में किये गए कर्मों का दंड नहीं भोगना पड़ता। ऐसे ही संत रामपाल जी महाराज के अन्य विचार जानने के लिए .