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#वैलेंटाइन_डे मनाना बेहयाई भी है, और फ़ह्हाशी भी है, बद कादरी भी है, ग़ैरों की नक़्क़ाली भी है, बेहयाई का प्रचार भी है और अल्लाह तआला की नाफ़रमानी भी है, जबकि इससे बचना ईमान और हया का तक़ाज़ा भी है, गै़रत और शराफ़त का तक़ाज़ा भी है, इसमें इफ़्फ़त की हिफ़ाज़त भी है, और अल्लाह तआला की रज़ा मंदी भी है, तो ए मोमिनों ईमान वालों के लिए ईमान हया और रब की रज़ा से बढ़कर कुछ भी नहीं।

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محمد حبيب الله

#वैलेंटाइन_डे मनाना बेहयाई भी है, और फ़ह्हाशी भी है, बद कादरी भी है, ग़ैरों की नक़्क़ाली भी है, बेहयाई का प्रचार भी है और अल्लाह तआला की नाफ़रमानी भी है, जबकि इससे बचना ईमान और हया का तक़ाज़ा भी है, गै़रत और शराफ़त का तक़ाज़ा भी है, इसमें इफ़्फ़त की हिफ़ाज़त भी है, और अल्लाह तआला की रज़ा मंदी भी है, तो ए मोमिनों ईमान वालों के लिए ईमान हया और रब की रज़ा से बढ़कर कुछ भी नहीं।

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